Thursday, December 30, 2010

अलविदा

हर साल एक ही हाल
कुछ पाया कुछ खोया हर एक साल

इस साल भी वही हाल
पर कुछ दोस्त पाए मजेदार


खुशी है चलो ये साल हुआ पूरा
दुःख है की कुछ सपना रहा अधूरा

छोड़ो अब ये रोना-धोना
अब कुछ नया है बोना
2010  में 1 को है जोड़ना

2010 मेरे अलविदा तुझे
2011 में पता नही और क्या सूझे मुझे....;)


नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाये...
   

Sunday, December 5, 2010

खुशी

खुशी तू कुछ ऐसी मेहरबान हुई मुझपे
लगा यू की मूदत के बाद है ज़िन्दगी मिली मुझे
छलक उठे आँखों से आंसू  खुशी के
जब मालूम हुआ की भगवान देता है छपड़ फाड़ के .... :)

Wednesday, November 24, 2010

शादी

बचपन बीता जवानी से पहले
अपने आपको सँभालने से पहले
जवानी आ गई सवेरे-सवेरे
हाथों की लकीरे समझने से पहले
अब लो शादी हो रही चोव्बीस से पहले
मंजील को समझने से पहले...

लक्ष्य

लक्ष्य होता क्यों है?
हम क्या है ये बताने के लिए!
हम क्या है ये दिखाने के लिए!
या हम क्यों है ये समझाने के लिए
लक्ष्य का आखिर लक्ष्य क्या है?
ये मै समझाने की कोशिश में हूं
अगर मिले कोई उत्तर
तो करे संपर्क बेहिचक हो कर.........

Wednesday, November 10, 2010

उलझन है दिल में


एक पल मै रोई,एक पल मै सोयी,
ऐ ज़िन्दगी! मै तुझमे कुछ इस तरह हू खोई, 
उलझन है दिल में ऐ ज़िन्दगी तेरे लिए,
ये परीक्षा क्यों बनाया तुमने मेरे लिए,
होती तू हसीन और भी मेरे लिए,
अगर परिक्षाए ना होती ज़िन्दगी भर के लिए

Monday, November 8, 2010

Janamdin Mubarak

चौबीस साल पहले की है ये बात,
9 नवम्बर 1986 की एक रात,
HAPPY  BIRTHDAY STEVE


 
हुआ जन्म एक लड़के का,
प्यारा,न्यारा और सब का दुलारा,
बड़ा होकर हुआ सब का रखवाला,
छोड़ा उसने केरल की गलियो को,
पकड़ा उसने सिंगापूर की सीडियो को,
चढ़ रहा है आज भी उन सीडियो को वो,
क्योकि सफलता इंतजार कर रही है उसी ओर,
अब और क्या लिखू आपके जन्मदिन पर,
खुदा करे सफलता चूमे आपको हर कदम पर,

जन्म दिन की ढेर सारी शुब कामनाये...:)

Friday, August 27, 2010

DUSTOOR

ज़िन्दगी का हर मोड़
एक प्रशन चिन्ह है
जिसका उत्तर भी...
हर एक के लिए विभिन्न है
हर कोई इसका मोहताज़ है
जो भी पहने इसका ताज है
ये वह चक्रव्यू है
जिसका कोई प्रिव्यू नहीं...
इस डोर का सिर्फ एक ही छोर है
जो हमें हमेशा नामंजूर है ....
मरना तो एक दिन जरूर है
क्योकि जीवन का यही दस्तूर है....

Thursday, August 26, 2010

INTAZAR HAI AAJ BHI.....

खोई थी सपनों में,
संजोए ख्वाब प्यारे,
अन्दर ही अन्दर अपने आप में,
बटोर रही थी खुशिया सारे,
तभी अचानक एक आहट हुई,
किसी कि चुभन मेरे हाथों को मेहसूस हुई,
किया वार मैंने पूरी शक्ति के साथ,
पर बदकिस्मती की बात..
वो आया ना मेरे हाथ
इंतजार है आज भी...
उसका मुझे
उस मच्छर के अलावा..
और कुछ भी ना सूझे..

NIRASHA

जब जीवन से नाता छूट जाए,
सब बंधन टूट जाये,
प्रकाश में अन्धकार दिख जाए,
तब हम अन्धकार के पथ पर सो जाये.


सच्चाई का साथ छोड़ देता है,
अपनो से मुह मोड़ लेता है,
समझ के भी ना समझ बन जाता है,
तो वह निराशा में अपने को डुबो लेता है,














निराशा जीवन का अंत नहीं,
यह कोई मंत्र नहीं,
यह जीवन का हिस्सा है,
इसके बिना कहां कोई किस्सा है,

निराशा का कोई विषय नहीं,
इसके लिए कोई आश्य नहीं,
इसके लिए कोई वक़्त नहीं,
इसके लिए कोई साल नहीं,

निराशा हमारी परीक्षा है,
जिससे किसी को रक्षा नहीं,
जो इस परीक्षा में अव्वल हो जाए,
वह जीवन में सफल हो जाए.

Wednesday, August 25, 2010

ATHEET

किसी ने पूछा मेरा अतीत,
ना हँसा ना रोया मेरा अतीत,
शायद खो गया है वह कहीं,
या फिर भुला दिया है मैने कही,
लेकिन फिर भी मेहसूस कर रही हू,
आस-पास और हर कहीं....
क्यों मै देखू उसे समुन्द्र के बीचो-बीच,
सूरज की डूबती किरणों में,
हर कहीं तो है वो- मेरा अतीत,
कैसे जा सकता मुझसे दूर,
कैसे कोई ऱेह पाए इसे जुदा,
क्योंकि आज जो है,
वह कल केवल अतीत,अतीत और अतीत......

Saturday, March 6, 2010

MANUSHYA


मनुष्य हेई एक तुच्छ वस्तु,
है इसमें भरा अहंकार,
है दुष्ट आत्मा का इसमें वास,
कभी न कोई पकडे इसका साथ.
 
कमजोर को पैरो के नीचे दबादे,
ताकतवर के सामने हाथ जोड़ ले,
आगे दूसरों के वाह-वाह करते जाए,
पीछे उनके कारनामे खोलते जाए.

सामने इनके कतल हो जाए,
अंधे बन ये खड़े रह  जाए,
झूठ ये ऐसे बोल जाए,
जैसे बर्फ का टुकड़ा बिना हिचक निगल जाए.

यहाँ नहीं कोई भी संत,
लगता है ये है संसार का अंत.

Friday, March 5, 2010

लिखते-लिखते हो गए कितने साल

लिखते-लिखते हो गए कितने साल,
पर वो हुआ ना बेहाल,
रंग उसके बदलते गए बार-बार,
फिर भी अपने कर्म करता रहा वो हर बार,
सोचने की भी उसमे फुर्सत नहीं,
समझने की भी चाह नहीं,
उसका अपना कोई धर्म नहीं,
उसका अपना कोई उसूल नहीं,
जिसके हाथ आए उसका हो जाये,
जिसके साथ रहे उसका बन जाये,
इतना मत सोच प्यारे,
कलम के जलवे है निराले.

PARISHRAM


रात-रात को जागकर,
पसीने की बूंदें गिरी किताबो पर,
हल्का सा हो गया ये मन,
ठंडा सा पढ़ गया ये तन,
रोम-रोम में हुई सरसराहट,
आत्मा को मिली ठंडक,
सभी प्रशन के मिले सही उत्तर,
परिश्रम का ही तो हैं ये फल.

Tuesday, March 2, 2010

THE LONELY MAN

The man is alone,
who doesn't have a heart,
who doesn't have a soul,
of his own.

He walks on the path of thorns alone,
with no one to give a hand of his own,
He laughs alone and cries alone,
with no one to share a part of his own.

He makes everyone sad,
with his crazy demands,
And is left by everyone,
as a lonely man.

No one likes to be alone,
but some are there who like it soon,
They feel themselves as the happiest person,
with nothing to worry or care about.

MILAN



मिले  बिछड़े सुर और ताल,
उजागर हुआ संगीत नया,
मिले जो दो अक्षर पुराने,
प्रकाशित हुआ शब्द नया, 
हुआ जब नदियों का संगम, 
अविष्कार हुआ समुन्द्र का वहां,
मिला जो पानी बंजर जमीन को, 
लहरा उठे फसल उसमे,
मिले जो बिछड़े दोस्त आज, 
पिघल गया सूरज भी साथ. 

SAPNA

जीवन तो हैं एक सपना,
चाहें आप समझे इसे मेरी कल्पना,
साकार तो ये अनगिनत हैं होता,
बिखरने में भी इसे वक़्त ना लगता,
सपना तो हैं पानी के जैसा,
कभी मुट्टी में आ नहीं सकता,
जीवन अगर बनाना हैं उज्जवल,
समय का उपयोग करो तुम पल-पल,
तब सपना हो जायेगा सफल,
और जीवन बन जायेगा कुशल.