Thursday, August 26, 2010

NIRASHA

जब जीवन से नाता छूट जाए,
सब बंधन टूट जाये,
प्रकाश में अन्धकार दिख जाए,
तब हम अन्धकार के पथ पर सो जाये.


सच्चाई का साथ छोड़ देता है,
अपनो से मुह मोड़ लेता है,
समझ के भी ना समझ बन जाता है,
तो वह निराशा में अपने को डुबो लेता है,














निराशा जीवन का अंत नहीं,
यह कोई मंत्र नहीं,
यह जीवन का हिस्सा है,
इसके बिना कहां कोई किस्सा है,

निराशा का कोई विषय नहीं,
इसके लिए कोई आश्य नहीं,
इसके लिए कोई वक़्त नहीं,
इसके लिए कोई साल नहीं,

निराशा हमारी परीक्षा है,
जिससे किसी को रक्षा नहीं,
जो इस परीक्षा में अव्वल हो जाए,
वह जीवन में सफल हो जाए.

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