Thursday, August 26, 2010

INTAZAR HAI AAJ BHI.....

खोई थी सपनों में,
संजोए ख्वाब प्यारे,
अन्दर ही अन्दर अपने आप में,
बटोर रही थी खुशिया सारे,
तभी अचानक एक आहट हुई,
किसी कि चुभन मेरे हाथों को मेहसूस हुई,
किया वार मैंने पूरी शक्ति के साथ,
पर बदकिस्मती की बात..
वो आया ना मेरे हाथ
इंतजार है आज भी...
उसका मुझे
उस मच्छर के अलावा..
और कुछ भी ना सूझे..

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