Saturday, March 6, 2010

MANUSHYA


मनुष्य हेई एक तुच्छ वस्तु,
है इसमें भरा अहंकार,
है दुष्ट आत्मा का इसमें वास,
कभी न कोई पकडे इसका साथ.
 
कमजोर को पैरो के नीचे दबादे,
ताकतवर के सामने हाथ जोड़ ले,
आगे दूसरों के वाह-वाह करते जाए,
पीछे उनके कारनामे खोलते जाए.

सामने इनके कतल हो जाए,
अंधे बन ये खड़े रह  जाए,
झूठ ये ऐसे बोल जाए,
जैसे बर्फ का टुकड़ा बिना हिचक निगल जाए.

यहाँ नहीं कोई भी संत,
लगता है ये है संसार का अंत.

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