Friday, August 27, 2010

DUSTOOR

ज़िन्दगी का हर मोड़
एक प्रशन चिन्ह है
जिसका उत्तर भी...
हर एक के लिए विभिन्न है
हर कोई इसका मोहताज़ है
जो भी पहने इसका ताज है
ये वह चक्रव्यू है
जिसका कोई प्रिव्यू नहीं...
इस डोर का सिर्फ एक ही छोर है
जो हमें हमेशा नामंजूर है ....
मरना तो एक दिन जरूर है
क्योकि जीवन का यही दस्तूर है....

2 comments:

  1. nice one unknown poet, but could not make out the picture..

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  2. Thanks a lot..... :)can i know the good name please...

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