Friday, August 27, 2010

DUSTOOR

ज़िन्दगी का हर मोड़
एक प्रशन चिन्ह है
जिसका उत्तर भी...
हर एक के लिए विभिन्न है
हर कोई इसका मोहताज़ है
जो भी पहने इसका ताज है
ये वह चक्रव्यू है
जिसका कोई प्रिव्यू नहीं...
इस डोर का सिर्फ एक ही छोर है
जो हमें हमेशा नामंजूर है ....
मरना तो एक दिन जरूर है
क्योकि जीवन का यही दस्तूर है....

Thursday, August 26, 2010

INTAZAR HAI AAJ BHI.....

खोई थी सपनों में,
संजोए ख्वाब प्यारे,
अन्दर ही अन्दर अपने आप में,
बटोर रही थी खुशिया सारे,
तभी अचानक एक आहट हुई,
किसी कि चुभन मेरे हाथों को मेहसूस हुई,
किया वार मैंने पूरी शक्ति के साथ,
पर बदकिस्मती की बात..
वो आया ना मेरे हाथ
इंतजार है आज भी...
उसका मुझे
उस मच्छर के अलावा..
और कुछ भी ना सूझे..

NIRASHA

जब जीवन से नाता छूट जाए,
सब बंधन टूट जाये,
प्रकाश में अन्धकार दिख जाए,
तब हम अन्धकार के पथ पर सो जाये.


सच्चाई का साथ छोड़ देता है,
अपनो से मुह मोड़ लेता है,
समझ के भी ना समझ बन जाता है,
तो वह निराशा में अपने को डुबो लेता है,














निराशा जीवन का अंत नहीं,
यह कोई मंत्र नहीं,
यह जीवन का हिस्सा है,
इसके बिना कहां कोई किस्सा है,

निराशा का कोई विषय नहीं,
इसके लिए कोई आश्य नहीं,
इसके लिए कोई वक़्त नहीं,
इसके लिए कोई साल नहीं,

निराशा हमारी परीक्षा है,
जिससे किसी को रक्षा नहीं,
जो इस परीक्षा में अव्वल हो जाए,
वह जीवन में सफल हो जाए.

Wednesday, August 25, 2010

ATHEET

किसी ने पूछा मेरा अतीत,
ना हँसा ना रोया मेरा अतीत,
शायद खो गया है वह कहीं,
या फिर भुला दिया है मैने कही,
लेकिन फिर भी मेहसूस कर रही हू,
आस-पास और हर कहीं....
क्यों मै देखू उसे समुन्द्र के बीचो-बीच,
सूरज की डूबती किरणों में,
हर कहीं तो है वो- मेरा अतीत,
कैसे जा सकता मुझसे दूर,
कैसे कोई ऱेह पाए इसे जुदा,
क्योंकि आज जो है,
वह कल केवल अतीत,अतीत और अतीत......