Saturday, March 6, 2010
MANUSHYA
मनुष्य हेई एक तुच्छ वस्तु,
है इसमें भरा अहंकार,
है दुष्ट आत्मा का इसमें वास,
कभी न कोई पकडे इसका साथ.
कमजोर को पैरो के नीचे दबादे,
ताकतवर के सामने हाथ जोड़ ले,
आगे दूसरों के वाह-वाह करते जाए,
पीछे उनके कारनामे खोलते जाए.
सामने इनके कतल हो जाए,
अंधे बन ये खड़े रह जाए,
झूठ ये ऐसे बोल जाए,
जैसे बर्फ का टुकड़ा बिना हिचक निगल जाए.
यहाँ नहीं कोई भी संत,
लगता है ये है संसार का अंत.
Friday, March 5, 2010
लिखते-लिखते हो गए कितने साल
पर वो हुआ ना बेहाल,
रंग उसके बदलते गए बार-बार,
फिर भी अपने कर्म करता रहा वो हर बार,
सोचने की भी उसमे फुर्सत नहीं,
समझने की भी चाह नहीं,
उसका अपना कोई धर्म नहीं,
उसका अपना कोई उसूल नहीं,
जिसके हाथ आए उसका हो जाये,
जिसके साथ रहे उसका बन जाये,
इतना मत सोच प्यारे,
कलम के जलवे है निराले.
PARISHRAM
रात-रात को जागकर,
पसीने की बूंदें गिरी किताबो पर,
हल्का सा हो गया ये मन,
ठंडा सा पढ़ गया ये तन,
रोम-रोम में हुई सरसराहट,
आत्मा को मिली ठंडक,
सभी प्रशन के मिले सही उत्तर,
परिश्रम का ही तो हैं ये फल.
Tuesday, March 2, 2010
THE LONELY MAN
The man is alone,
who doesn't have a heart,
who doesn't have a soul,
of his own.
He walks on the path of thorns alone,
with no one to give a hand of his own,
He laughs alone and cries alone,
with no one to share a part of his own.
He makes everyone sad,
with his crazy demands,
And is left by everyone,
as a lonely man.
No one likes to be alone,
but some are there who like it soon,
They feel themselves as the happiest person,
with nothing to worry or care about.
who doesn't have a heart,
who doesn't have a soul,
of his own.
He walks on the path of thorns alone,
with no one to give a hand of his own,
He laughs alone and cries alone,
with no one to share a part of his own.
He makes everyone sad,
with his crazy demands,
And is left by everyone,
as a lonely man.
No one likes to be alone,
but some are there who like it soon,
They feel themselves as the happiest person,
with nothing to worry or care about.
MILAN
मिले बिछड़े सुर और ताल,
उजागर हुआ संगीत नया,
मिले जो दो अक्षर पुराने,
प्रकाशित हुआ शब्द नया,
हुआ जब नदियों का संगम,
अविष्कार हुआ समुन्द्र का वहां,
मिला जो पानी बंजर जमीन को,
लहरा उठे फसल उसमे,
मिले जो बिछड़े दोस्त आज,
पिघल गया सूरज भी साथ.
SAPNA
जीवन तो हैं एक सपना,
चाहें आप समझे इसे मेरी कल्पना,
साकार तो ये अनगिनत हैं होता,
बिखरने में भी इसे वक़्त ना लगता,
सपना तो हैं पानी के जैसा,
कभी मुट्टी में आ नहीं सकता,
जीवन अगर बनाना हैं उज्जवल,
समय का उपयोग करो तुम पल-पल,
तब सपना हो जायेगा सफल,
और जीवन बन जायेगा कुशल.
चाहें आप समझे इसे मेरी कल्पना,
साकार तो ये अनगिनत हैं होता,
बिखरने में भी इसे वक़्त ना लगता,
सपना तो हैं पानी के जैसा,
कभी मुट्टी में आ नहीं सकता,
जीवन अगर बनाना हैं उज्जवल,
समय का उपयोग करो तुम पल-पल,
तब सपना हो जायेगा सफल,
और जीवन बन जायेगा कुशल.
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