Saturday, June 18, 2011

स्ट्रीट लाइट

 दिल की बती बुझ चुकी थी 
घर की फ्युस भी उड़ चुकी थी

मोंबतिया पिघल चुकी थी 
माचिस की तीली राख हो चुकी थी 

अन्धकार ने डेरा जमा लिया था 
राहो पर नारा लगा लिया था

तभी हुई स्ट्रीट लाइट की एन्टरी
और बंद की अन्धकार की पान्ट्री...


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