Wednesday, December 21, 2011
Monday, October 17, 2011
कौन है जिम्मेदार??????
पैसा.... पैसा.... पैसा....
जो हर इंसान के
सीने में है धड़कता
कभी अभिमान तो कभी इज्जत
को है मरोड़ता
अरे छोड़ो ये तो रूह
को है निचोड़ता
पैसा पैसा पैसा लाता ऐसा फुआर
दोस्ती को छोड़ो रिश्तो में लाता दरार
इसके आगे फिर भी है
झुक रहे इंसान
इसके लिए अपने आप को है
बेच रहे इंसान
थम कर देता है ज़िन्दगी की हर रफ़्तार
बढती इसकी इज्ज़त फिर भी
तुगुनी हर बार
इसके लिए आखिर कौन है जिम्मेदार??????
सवाल उठ रहा मन में बार बार........
Saturday, June 18, 2011
Monday, May 23, 2011
मेरी छत्री
मूढ़ नही था कोई खास,
मौसम भी था बड़ा उदास,
बादल में भी था क्रोध भरा,
काला काला था गरज रहा,
मै क्या करू ये सोच रही थी,
छत्री खोलने में संकोच कर रही थी,
बारीश ने प्रशन सुलझा दी,
छत्री आखिर खुलवा ही दी,
लेकिन फिर एक बात हुई,
मुझे बहुत अचरज हुई,
बालो में बुँदे महसूस हुई,
छत्री से मै नाराज़ हुई,
देखा छत्री को घूर के मैंने,
पहचाना तभी अपनी भूल को मैंने,
था एक द्वार छत्री में बनाया,
चूहे ने फिर से था कमाल दिखाया.
Sunday, February 20, 2011
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