Ehsaas
Wednesday, December 21, 2011
अन्जानी
नौकरी की आढ़ में,
उलझे कुछ इस तरह,
भेडों के बीच में,
कछुए की तरह,
जाना था कहां??
पहुचे है कहां??
किस्मत की बात भी,
समझ न आये यहाँ....
ये पहेली उलझी सी,
मै खुद भुजी-भुजी सी,
अब क्या कहुं मै आगे??
जब खुद से हू अन्जानी सी.......
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